कृषि विकास के अन्तर्गत भूमि उपयोग: जनपद भदोही का प्रतीक अध्ययन
डाॅ0 बी.एन. पटेल1, उमेश कुमार मिश्र2
1विभागाध्यक्ष भूगोल विभाग शास. महाविद्यालय अमरपाटन सतना (म0प्र0)
2शोधार्थी (भूगोल) शा.ठा.रण. महाविद्यालय, रीवा (म0प्र0)
*Corresponding Author E-mail:
शोध सारांश:
अध्ययन क्षेत्र भदोही में कृषि विकास के अन्तर्गत भूमि उपयोग का क्षेत्रफल कितना है। भूमि उपयोग तथा इसके प्रारूपों में परिवर्तन के फलस्वरूप जनसंख्या तथा भूमि के बीच संबंधों के संदर्भ में जटिल समस्याओं के प्रति चिन्तन, मनन एवं निर्वचन हेतु हमें वाध्य करते हैं। अतः इस शोध पत्र के द्वारा भदोही जनपद में भूमि उपयोग का अध्ययन किया गया है। सिंचाई के साधनों, से उत्पादन क्षमता में वृद्धि हो रही हैं वनों के विनाश से मृदा का विनाश हो रहा है। कृषि योग्य भूमि का क्षेत्रफल में वृद्धि हो रही है लेकिन अन्य भूमि धीरे-धीरे कम होती जा रही है।
शब्दकुजीं: कृषि विकास, भूमि उपयोग, कृषि भूमि उपयोग
प्रस्तावनाः
अध्ययन क्षेत्र उत्तर प्रदेश का भदोही जनपद है, जनपद का अक्षांशीय विस्तार 250 100 उत्तरी अक्षांश से 250 22’ 15’’ अक्षांश तथा 820 12‘ 24’’ पूर्वी देशान्तर से 820 42‘ 28’’ पूर्वी देशान्तर के मध्य में स्थित है। भदोही जनपद का क्षेत्रफल 1015 वर्ग कि0मी0 है। प्रशासनिक दृष्टि से मिर्जापुर मण्डल के इस जनपद में तीन तहसीलें - ज्ञानपुर, औराई व भदोही एवं छः विकासखण्डों, ज्ञानपुर, औराई, भदोही, सुरियावाँ, डीघ और अभोली है।
अध्ययन के उद्देश्य -
1ण् जनपद में भूमि उपयोग का स्वरूप प्रस्तुत करना।
2ण् जनपद में विकासखण्डवार भूमि उपयोग प्रारूप को प्रदर्शित करना।
3ण् जनपद में कृषि के आधारभूत ढाॅचा को मजबूत करने के लिये किये गये कार्यो का कृषि भूमि उपयोग पर पडते प्रभाव को ज्ञात करना।
शोध प्रविधि -
अध्ययन क्षेत्र में कृषि विकास के आयाम एवं पर्यावरण से भूमि का स्वरूप बदला है। इन्हें ध्यान में रखकर वर्तमान अध्ययन के निम्न उद्देश्य रखे गये है, जनपद में वर्तमान भूमि उपयोग का स्वरूप प्रस्तुत करना एवं जनपद में विकासखण्डवार कृषि भूमि उपयोग एवं फसल प्रारूप को प्रदर्शित करना। भूमि उपयोग तथा इसके प्रारूपों में परिवर्तन के फलस्वरूप मानव तथा भूमि के बीच संबंधों के सन्दर्भ में जटिल समस्याओं के प्रति व्यापक चिन्ता इस दिशा में चिन्तन, मनन एवं निर्वचन हेतु हमें बाध्य करते है। अतः इस शोध पत्र के द्वारा भदोही जनपद में भूमि के स्वरूप में आये परिवर्तन का अध्ययन किया गया है।
भदोही जनपद में कृषि विकास और पर्यावरणीय कारकों से भूमि के स्वरूप में परिवर्तन आ रहा है। अनुकूल भौगोलिक दशाओं (समतल भूमि, उपजाऊ मिट्टी) उत्तम जलवायु, जल संसाधन की उपलब्धता के बढ़ते दबाव के कारण भदोही जनपद के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल के 68.07 भाग पर कृषि कार्य सम्पादित होता है। भदोही जनपद के 69086 हे0 क्षेत्र (67.01 प्रतिशत) में कृषि की जाती है। ग्रामीण क्षेत्रों में (67.38 प्रतिशत ) कृषि भूमि विस्तार है तथा नगरीय क्षेत्र में (27.37 प्रतिशत) का विस्तार है। सबसे अधिक कृषित भूमि औराई विकासखण्ड में 68.33 प्रतिशत है। सबसे कम कृषित भूमि अभोली विकासखण्ड अभोली विकासखण्ड में 65.69 प्रतिशत है। जनसंख्या वितरण से सम्बन्धित आॅकड़ों के विश्लेषण से यह ज्ञात होता है कि जनसंख्या दबाव का स्पष्ट प्रभाव कृषिगत भूमि की मात्रा पर पड़ता है। परती भूमि की जुताई व उर्वरकों द्वारा मृदा का उपजाऊपन बढ़ाकर कृषि पैदावार बढ़ाई जा सकती है और पुनः इस प्रकार की भूमि पर कृषि की जा सकती है।
कृषि योग्य बंजर भूमि यह भूमि मजदूरों, सिंचाई के साधनों की कमी, वर्षा आदि के अभाव के कारण खाली छोड दी जाती है। जनपद भदोही में 410 हेक्टेयर भूमि कृषि योग्य बंजर भूमि है। जो अध्ययन क्षेत्र के 0.40 प्रतिशत क्षेत्रफल में स्थित है। यह भूमि सबसे अधिक भदोही विकासखण्ड में 0.45 प्रतिशत है जबकि सबसे कम अभोली विकासखण्ड में 0.29 प्रतिशत है।
चारागाह, उद्यान, वृक्ष व झाड़ियों अध्ययन क्षेत्र में सम्मिलित भूमि से कुछ आर्थिक उत्पादन होता है। अध्ययन क्षेत्र में 851 हेक्टेयर क्षेत्र इसके अन्तर्गत आता है। सबसे अधिक सुरियावाॅ विकासखण्ड में 0.70 प्रतिशत है तथा सबसे कम अभोली विकासखण्ड में 0.28 प्रतिशत है। भूमि की कम उर्वरता शक्ति, सुविधाओं का अभाव, कृषक की अभिरूचि, बाढ़ व सूखा आदि ऐसे कारक है जो किसी भी परती भूमि की मात्रा व स्वरूप का निर्धारित करते है। अध्ययन क्षेत्र का 12742 हेक्टेयर अर्थात् 12.36 प्रतिशत परती भूमि की श्रेणी में आता है। सबसे अधिक परती भूमि अभोली विकासखण्ड 13.26 प्रतिशत में है। जो जनपदीय औसत 12.36 प्रतिशत से लगभग तीन प्रतिशत अधिक है। सुरियावाॅ विकासखण्ड में 10.29 प्रतिशत परती भूमि है जो समस्त विकासखण्डों में सबसे कम है। परती भूमि संबंधी आॅकड़ों का विश्लेषण से स्पष्ट है कि परती भूमि की मात्रा व जनसंख्या दबाव, सिंचन सुविधाओं के विकास से प्रभावित है।
भदोही जनपद में ऊसर एवं कृषि के अयोग्य भूमि 1941 हेक्टेयर भूमि (1.88 प्रतिशत) आती है। नगरीय क्षेत्रों (0.53 प्रतिशत) की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्रों में ऊसर एवं कृषि के अयोग्य भूमि का प्रतिशत (1.89 प्रतिशत) अधिक मिलता है। अध्ययन क्षेत्र में सबसे अधिक इस श्रेणी की भूमि डीघ विकासखण्ड में 2.09 प्रतिशत अधिक है, जो जनपदीय औसरत से 1.15 गुना अधिक है तथा सबसे कम ऊसर एवं कृषि अयोग्य भूमि अभोली विकासखण्ड में 1.09 प्रतिशत है इस प्रकार की भूमि, जिसका उपयोग कृषि कार्यो के अतिरिक्त सड़क, रेलमार्ग तथा आवास आदि के काम में लिया जाता है।
शुद्ध बोया गया क्षेत्र के अन्तर्गत औराई विकासखण्ड में सर्वाधिक 68.23 प्रतिशत शुद्ध बोयी गयी भूमि है तथा न्यूनतम 65.69 प्रतिशत अभोली विकासखण्ड में दृष्टिगोचर हो रहा है। सम्पूर्ण जनपद का शुद्ध बोया गया क्षेत्रफल 67.01 प्रतिशत है। जनपद में जनसंख्या वृद्धि के खाद्यान्न एवं अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए बोयी गई भूमि क्षेत्र में वृद्धि होना अच्छा संकेत है।
भूमि उपयोग के संदर्भ में जनपद में रबी, खरीफ व जायद की फसलों का उत्पादन अधिक मात्रा में किया जाता है। जिसमें खरीफ में 46.09 प्रतिशत क्षेत्रफल है। विकासखण्ड भदोही में 14.40 प्रतिशत, औराई में 9.34 प्रतिशत, ज्ञानपुर में 8.37 प्रतिशत, अभोली में 5.03 प्रतिशत, सुरियावाॅ में 4.67 प्रतिशत तथा डीघ में 4.15 प्रतिशत है। यहाँ प्रमुख फसलों में धान, मक्का, बाजरा, उर्द, मूॅंग, अरहर, तिल आदि है। जिसमें खाद्यान्न, दहलन, तिलहन फसलें हैं।
रबी फसलों का कुल क्षेत्रफल का 51.57 प्रतिशत है, जो जनपद के छः विकासखण्डों डीघ (18.06 प्रतिशत), औराई (9.74 प्रतिशत), भदोही (7.97 प्रतिशत), सुरियावाॅ (6.89 प्रतिशत), ज्ञानपुर (5.75 प्रतिशत) और अभोली (3.00 प्रतिशत) है। जिसकी प्रमुख फसलें गेहूॅ, जौ, चना, मटर, मसूर, राई, सरसों तथा अलसी आदि है। जायद की फसलों का कुल क्षेत्रफल (2.34 प्रतिशत), जिसमें भदोही (0.65 प्रतिशत), डीघ (0.4 प्रतिशत), ज्ञानपुर (0.36 प्रतिशत), औराई (0.35 प्रतिशत) व अभोली (0.33 प्रतिशत) विकासखण्ड में है। जिसमें खीरा, लौकी, कददू, टमाटर, बैगन आदि फसलों का उत्पादन होता है।
प्रस्तुत शोध पत्र भदोही जनपद में कृषि विकास के आयाम एवं पर्यावरणीय अध्ययन’’ इसमें भूमि उपयोग का मूल्यांकन किया गया है। अब तक प्रकाशित भूगोल की पुस्तकों व शोध कार्य में भदोही जनपद के सन्दर्भ में भूमि उपयेाग से सम्बन्धित’’ शीर्षक पर साहित्य में बहुत कम पढ़ने को मिलता है। सर्वप्रथम एल0डी0 स्टाम्प ने ब्रिटेन का भूमि उपयोग सर्वे करवाया था। जिसमें उन्होंने भूमि को सात वर्गो में बाॅटा - कृषि भूमि, ऊसर, चारागाह, बाग, नर्सरी, घास-स्थली, जंगल और नगर क्षेत्र के अधिन भूमि। इस भूमि वर्गीकरण को स्टाम्प ने अपने प्रसिद्ध कृति ‘‘ज्ीम स्ंदक व िठतपजंपद पजे नेम ंदक डपेनेमष् विस्तार पूर्वक वर्णन किया है।
सविन्द्र सिंह (2004) ने पर्यावरण भूगोल, प्रयाग पुस्तक भवन इलाहाबाद में भूमि एवं जल संसाधन को पारिस्थितिक तंत्र का महत्व पूर्ण घटक माना तथा मृदा संरक्षण से सम्बन्धित विविध उपायों का उल्लेख किया है।
डाॅ0 आर0के0 गुर्जन (1967) ने इन्दिरा गाॅधी नहर परियोजना क्षेत्र में कृषि आधुनिकीकरण का अध्ययन किया। जिसमें उन्होंने 1971 से 1981 के मध्य में हुए कृषि क्रान्ति का सामाजिक आकलन कर क्षेत्र में कृषि विकास हेतु सुझाव प्रस्तुत किया है।
डाॅ0 डी0 एस0 चैहान (1966) के अनुसार प्राकृतिक पर्यावरण में भूमि प्रयोग एक तत्सामयिक प्रक्रिय है, जबकि मानवीय इच्छाओं के अनुरूप अपनाया गया भूमि-उपयोग एक दीर्घकालीन प्रक्रिया है।
माजिद हुसैन (1976) ने कृषि उत्पादकता निर्धारण हेतु प्रदेश की प्रत्येक संघटक इकाई में बोयी गई फसल का क्षेत्र उत्पादकता मूल्य से संबंध को आधार माना, प्रो0 हुसैन ने इस आधार पर उत्तर प्रदेश के कृषि उत्पादक प्रदेशों का निर्धारण किया।
इस प्रकार अनेक भूगोलवेक्ताओं द्वारा भूमि उपयोग का अध्ययन किया लेकिन अभी भी भदोही जनपद के बदलते भूमि उपयोग का अध्ययन नहीं हुआ अतः प्रस्तुत अध्ययन में इस क्षेत्र का गहन अध्ययन प्रस्तावित है। शोध कार्य में कृषि भूमि उपयोग, कृषि प्रारूप, जनसंख्या, कृषि का आधुनिकीकरण पर प्रभाव का विश्लेषण करने के लिए विभिन्न सांख्यिकीय विधियों का प्रयोग किया गया है भदोही जनपद में छः विकासखण्डों का 2013-14 भूमि उपयोग के आॅकडों को आधार बनाया गया है। जनसंख्या वितरण से सम्बन्धित आॅकड़ों के विश्लेषण से यह ज्ञात होता है कि जनसंख्या दबाव का स्पष्ट प्रभाव भूमि उपयोग की मात्रा पर पड़ा है। अध्ययन क्षेत्र में किसान सामान्यतः प्राचीन पद्धतियों का प्रयोग करते हैं जो कि क्षेत्र की दशाओं को ध्यान में रखते हुए उपयुक्त नहीं है, पानी का अपव्यय रोकने के लिए तालाब की खुदाई करनी चाहिए। जिससे वर्षा का पानी एकत्रित हो और जल स्तर में वृद्धि होगी और पारिस्थितिकीय सन्तुलन बना रहे।
निष्कर्ष:-
भदोही जनपद में शुद्ध बोया गया क्षेत्र में वृद्धि हुई है जबकि परती भूमि, कृषि योग्य बंजर भूमि, ऊसर एवं अयोग्य भूमि, वन, आदि में कमी हुई है। वन क्षेत्र लगभग समाप्ति की ओर अग्रसर है। नवीन तकनीकों के कारण कृषि योग्य भूमि का विस्तार बढ़ रहा है। जो कि कृषि और कृषक दोनों के लिये शुभ संकेत है, जनपद में जोताकार सर्वाधिक 00-0.5 सभी विकासखण्डों में सर्वाधिक है। सिंचाई के साधनों के विकास होने के कारण शस्य गहनता 142.99 प्रतिशत प्राप्त हुआ है।
संदर्भ ग्रंथ सूची
1ण् कमलेष, एस.आर. 1966: कृषि भूगोल, वसुन्धरा प्रकाषन गोरखपुर कुमारी प्रतिभा, 2005ः जनपद सन्त रविदास नगर भदोही की जनसंख्या: एक भौगोलिक विष्लेषण शोध प्रबन्ध
2ण् डाॅ. तिवारी आर.सी. एवं डाॅ. सिंह वी.एन. 2006ः कृषि भूगोल, प्रयाग पुस्तक भवन इलाहाबाद
3ण् प्रसाद होषिला, 1989ः ज्ञानपुर तहसील के भूमि उपयोग का भौगोलिक अध्ययन (ठण्भ्ण्न्ण् षोध प्रबन्ध)
4ण् सिंह, साबिन्द्र, 2011ः पर्यावरण भूगोल, प्रयाग पुस्तक भवन, इलाहाबाद
5ण् सिंह, काषीनाथ, 2007ः कृषि भूगोल, मेट्रों पब्लिसर्स एण्ड डिस्ट्रीब्यूटर्स दिल्ली
6ण् सिंह, राधेष्याम, 1980: लालगंज ब्लाक, मिर्जापुर यू.पी. में भूमि उपयोग साधना पथ पत्रिका, जून- 2018
7ण् समाचार पत्र देषबन्धु - 2016
8ण् हुसैन माजिद 2006ः कृषि भूगोल, रावत पब्लिकेषन दिल्ली।
Received on 25.11.2019 Modified on 14.12.2019
Accepted on 30.12.2019 © A&V Publications All right reserved
Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2019; 7(4):773-776.